इस पोस्ट में हम Hindi Vyakaran- सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar 2025 पर एक नजर डालने वाले है? इस पोस्ट में हम आगे पढ़ेंगे वर्णमाला, स्वर के प्रकार, स्वरों का वर्गीकरण, स्वरों का निर्माण, स्वरों का उच्चारण, जीभ के आधार पर स्वरों का उच्चारण, व्यजन, वर्ण तालिका, संयुक्त व्यजनों का निर्माण, संधि का अध्यन, संधि के प्रकार, स्वर संधि, दीर्घ सन्धि, वृद्धि संधि, यण संधि, गुण संधि, विसर्ग संधि, वाक्य, संज्ञा के प्रकार, सर्वनाम के भेद, विशेषण, क्रिया, काल, समास, अलंकार, वाक्यों का वर्गीकरण, उपसर्ग/प्रत्यय, राज भाषा, हिंदी भाषा का विकास, विराम चिह्न, शब्द भेद, रचनाएँ और रचनाकार, युग, विश्व हिंदी सम्मेलन, रस, सोरठा छंद, इन सभी विषयों के बारे में हम पढ़ेंगे।

Post Name | Hindi Vyakaran- सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar 2025 |
Language | Hindi |
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Hindi Vyakaran- सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar 2025
हिंदी वर्णमाला एक नजर में (Hindi Varnmala 2025)
स्वरों की संख्या | 11 |
अयोगवाह स्वर | 02 |
कुल स्वरों की संख्या | 13 |
स्पर्शी व्यजनों की संख्या | 25 |
द्विगुण व्यजनों की संख्या | 02 |
अंतःस्थ व्यजनों की संख्या | 04 |
ऊष्म व्यंजनों की संख्या | 04 |
संयुक्त व्यंजनों की संख्या | 04 |
कुल वर्गों की संख्या | 52 |
वर्णमाला
- भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है, और इस ध्वनि को वर्ण कहते है।
- वर्णों के व्यवस्थिति समूह को वर्णमाला कहते है।
- हिंदी वर्णमाला में कुल वर्णों की संख्या 52 है।
हिंदी वर्णमाला को दो भागों में बटा गया है।
- स्वर
- व्यंजन
जो वर्ण स्वतन्त्र रूप से बोले जाते है वे स्वर कहलाते है।
स्वर के प्रकार :-
मूल स्वर । ह्रस्व स्वर । लघु स्वर | 1 मात्रा | अ, इ, उ, ऋ |
दीर्घ स्वर | 2 मात्रा | आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ |
लुप्त स्वर | 3 मात्रा | ओउम |
- जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है, वे मूल स्वर या ह्रस्व स्वर या लघु स्वर कहलाते है। जैसे – अ, इ, उ।
- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है। वह दीर्घ स्वर कहलाते है। जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ।
- जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है वे लुप्त स्वर कहलाते है। जैसे – ओउम
स्वरों की संख्या 11 होती है। व आयोगवाह स्वर 2 होते है। कुल स्वर 13 होते है। “अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ” व “अं, अ:”
अनुसार के लिए (-) तथा विसर्ग के लिए (:) होता है।
स्वरों का वर्गीकरण :-
1 | मूल स्वर । ह्रस्व स्वर । लघु स्वर | अ, इ, उ, ऋ | 4 |
2 | दीर्घ स्वर | आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ | 7 |
3 | दीर्घ संधि स्वर । सजातीय स्वर | आ, ई, ऊ, | 3 |
4 | संयुक्त स्वर । विजातीय स्वर | ए, ऐ, ओ, औ | 4 |
संयुक्त स्वर या स्वरों का निर्माण :-
- अ +इ = ए
- अ+ए = ऐ
- अ+उ = ओ
- अ+ओ = औ
स्वरों का उच्चारण स्थान :-
- कंठय स्वर – अ, आ
- तालव्य स्वर – इ, ई
- ओष्ठ स्वर – उ, ऊ
- मूर्धन्य स्वर – ऋ
- कंठयतालव्य स्वर – ए, ऐ
- कंठय ओष्ठ स्वर – ओ, औ
जीभ के आधार पर स्वरों का उच्चारण स्थान :-
- अग्र स्वर – इ, ई, ए, ऐ
- मध्य स्वर – अ
- पश्च स्वर – आ, उ, ऊ, ओ, औ
व्यंजन :-
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं व्यंजन कहलाते हैं। यह 6 प्रकार के होते हैं ।
1 | स्पर्शी । स्पर्श व्यंजन | क से म तक | 25 |
2 | उक्षिप्त या द्विगुण व्यंजन | ड, ढ | 2 |
3 | अनुनासिक । नासिक (प्रत्येक वर्ग का पाँचवाँ वर्ण होता है।) | ड, ज, ण, न, म | 5 |
4 | अंतःस्थ व्यंजन | य, र, ल, व | 4 |
5 | ऊष्म व्यंजन या संधर्थी व्यंजन | श, ष, स, ह | 4 |
6 | संयुक्त व्यंजन | क्ष, त्र, ज्ञ, श्र | 4 |
वर्ण तालिका :-
वर्ग | स्पर्शी व्यंजन “क” से “म” तक | अनुनासिक व्यंजन | उच्चारण स्थान | |||
“क” वर्ग | क | ख | ग | घ | ङ | “क” से कंठ्य व्यंजन |
“च” वर्ग | च | छ | ज | झ | ञ | ‘च’ से चालू यानि तालव्य व्यंजन |
“ट” वर्ग | ट | ठ | ड़ | ढ | ण | मूर्धन्य व्यंजन |
“त” वर्ग | त | थ | द | ध | न | दन्त व्यंजन |
“प” वर्ग | प | फ | ब | भ | म | ओष्ठ व्यंजन |
अल्पप्राण :-
प्रत्येक वर्ग का 1,2 एवं 5वाँ वर्ण अल्पप्राण कहलाता है।
महाप्राण :-
प्रत्येक वर्ग का 2, 4 वर्ण महाप्राण कहलाता है।
अधोष :-
प्रत्येक वर्ग का 1 एवं 2वाँ वर्ण अधोष कहलाता है।
सधोष / धोष :-
प्रत्येक वर्ग का 3, 4 एवं 5वाँ वर्ग सधोष कहलाता है।
- अंतःस्थ व्यंजन – य, र, ल, व – अल्पप्राण / सधोष
- अर्द्ध स्वर – य, व
- पार्श्विक व्यंजन – ल
- लुंठित व्यंजन – र
- ऊष्म / संधर्षी व्यंजन – श, ष, स, ह जिनमें से “श, ष, स” महाप्राण / अधोष तथा ‘ह’ महाप्राण सधोष होता है।
- संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
संयुक्त व्यंजनों का निर्माण :-
- क् + ष = क्ष
- त् + र = त्र
- ज + ञ = ज्ञ
- श + र = श्र
संधि का अध्यन :-
दो वर्गों के मेल से होने वाले परिवर्तन को “संधि” कहते है।
जैसे :-
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
- शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
संधि के प्रकार या भेद :-
संधि तीन प्रकार की होती है।
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
Hindi Varnmala 2025, हिंदी वर्णमाला एक नजर में
स्वर संधि :-
स्वर के बाद स्वर अर्थात दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते है।